मंजीरे, घुंघरू, घंटे-घंटियाँ
Updated: Apr 1, 2021
जलेसर के पीतल के काम- कारीगरी के बारे में इतना सुन और पढ़ चुके थे, इसलिए सोचा था की शहर में पहुँचतें ही चारो तरफ मंजीरे, घुंघरू, घंटे-घंटियाँ की दुकानों की लाइन लगी होंगी जैसा कि किसी घाट मेले में दुकानें ही दुकानें होंती हैं। बस चारो तरफ मंजीरे, घुंघरू, घंटे-घंटियाँ..पर हमारी यह फिल्मी कल्पना हवा हो गयी।

वास्तव मे जलेसर उतना ही रियल है जितने की बाकी और शहर, यहाँ पर भी वही सर्दी- गर्मी, धूल-ट्रैफिक मिलेगा...पर सभी अनुभव देखने वाले की नज़र पर निर्भर करते हैं।

जलेसर के बड़ा बाजार के एक हिस्से में बर्तन बाजार या पीतल के कारीगरी से जुड़ी दुकानें हैं। यह पुराना इलाका है और यह दुकानें कई जनरेशन से चल रही हैं। आधुनिक समय में पीतल के बर्तनों का चलन बहुत कम है अतः आपको स्टील के आइटम भी काफी संख्या में रखे मिलेंगे। बाहर से आये लोग पीतल के सामान मे दिलचस्पी दिखाते हैं। बाकी स्टील से काम चल ही जाता है।
एक्सपोर्ट हाउस शायद सीधे आर्डर बेस पर काम करते हैं उनका माल रिटेल बाजार- दुकानों पर नजर नही आता।