पक्षी विहार, जलेसर
Updated: Feb 3, 2021
जलेसर के पास में ही है एक पक्षी विहार जिसे पटना पंछी विहार के नाम से जाना जाता है। और हाँ, इस पटना का बिहार की राजधानी पटना से कोई नाता नहीं है।

यह पक्षी विहार गणेशपुर ग्राम पंचायत का वेटलैंड या दलदलीय श्रेत्र था, सर्दियों में माइग्रेटरी बर्ड्स या विदेशी परिंदो के प्रवास की जगह होने की वजह से 1991 में आधिकारिक तौर पर पक्षी विहार के रूप में संरक्षित कर दिया गया।
एटा जनपद की सरकारी वेबसाइट: etah.nic.in के अनुसार इस संरक्षित श्रेत्र का एरिया 108 हेक्टेयर है और
जलीय भाग 1 से 2 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
(मौसम और बारिश के हिसाब से पानी का एरिया घटता बढता रहता है।)
श्रेत्रफल के हिसाब से यह उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे अभयारण्यों (Sanctuary - सेन्कचुयरी) में गिना जाता है।

पक्षी विहार की एक झलक दिखाती हुई वीडियो क्लिप ।
जब हमने जलेसर ऑनलाइन डाॅट काॅम पर पटना पक्षी विहार के बारे में पोस्ट डाली तो कुछ कमेन्ट्स आये थे कि विडियो क्लिप बहुत छोटी है, लोग और विस्तार से पक्षी विहार को देखना चाहते थे। अतः सारे फुटेज को मिलाकर एक विडियो की शक्ल दी है।
यह पक्षी विहार सर्दियों के समय जीवन्त हो उठता है। दिसम्बर के अंतिम दिनों से प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है
यहाँ सीज़न में पक्षियों की 300 विभिन्न प्रजातियों के लगभग 200,000 पक्षी देखे जा सकते हैं।
यानि मेन सीज़न दिसम्बर से मार्च तक चलता है।

यह पक्षी विहार ग्रामीण अंचल में होने के कारण बहुत ज्यादा सुविधाओं से लैस नहीं है। हम अपने पाठकों को अपने साथ स्नैक्स, चाय-पानी आदि लेकर जाने की सलाह देगें।और अगर छोटे बच्चों के साथ जा रहे हैं तो थर्मस में दूध, गर्म पानी साथ रखें। जहाँ तक हो अपने वाहन से जायें पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा न के बराबर है। क्योंकि यह जगह सर्दी में घूमने लायक है तो गर्म कपड़े व जैकेट आदि सहित जायें।

फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए यह एक आकर्षक जगह है, साथ ही बर्ड वाचिंग के लिए अगर आपके पास दूरबीन है तो वह जरूर लेकर जायें उससे आपका अनुभव और भी बेहतर हो जायेगा।

नीचे हमने चार फोटोज़ की मदद से पैनोरमा दिखाने की कोशिश की है।
पटना पक्षी विहार में पक्षिओं के अलावा कभी - कभी अन्य छोटे- बड़े वन्य जीव दिख जाते हैं। हमें एक ख़रगोश दिखा था।