जलेसर के खेतों की प्राकृतिक छटा।
शहरों में हमें सांसारिक सुविधायें तो मिल सकतीं हैं पर मन का सुकून और प्रकृति का संग छूट जाता है।

जो लोग शहर में आफिस से फ्लैट और फ्लैट से आफिस की रूटीन में फंसे हैं यह उनके लिए एक सकून भरी पोस्ट हो सकती है।
अब ठण्ड का मौसम धीरे-धीरे कम हो रहा ऐसे में हम आज आपको जलेसर के खेतों की सैर पर ले चलते हैं।

जलेसर के गेहूँ और सरसों के खेतों की प्राकृतिक छटा।
नीचे दिया विडियो जरूर देखें।
सफेद बगुला पौधों से कीट- पतंग चट करते हुये।
सरसों के खेतों की प्राकृतिक छटा, पीले- पीले फूल और सरसों की खुशबू बिखेरती हवा।

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जलेसर खेत का एक दृश्य: सरसों के फूल हवा में झुलते हुये।
आलू के खेत का पास से लिया एक फोटो।

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जलेसर के एक आलू के खेत में मोर चुग्गा चुगते हुये। यहाँ के खेतों के आसपास मोर प्राय: दिख जातें हैं।
शाम के समय मध्यम प्रकाश बिखेरता सूरज। यह फोटो किसी सीनरी की पेंटिंग से कम नही।

विचार: जैसे-जैसे हम तकनीकी विकास और आधुनिक समाज की ओर बढ रहे हैं वैसे-वैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। जहाँ खेती-किसानी को उस आदर भाव से नहीं देखा जाता जैसे कि देखा जाना चाहिए। आज खेती करना घाटे का सौदा हो गया है हम आशा करते हैं कि समाज और सरकार खेती को एक मुनाफे वाला ऑप्शन बनाने की ओर काम करेंगे ताकि पढ़े-लिखे लोग खेती को अपनाये जैसे लोग डाक्टर और इंजीनियरिंग को चुनते हैं।